आधार

इस ब्लोग के माध्यमसे सांस्कृतिक चिन्तन का एक अभियान चलाते हैं । वेदों में पुराणोंमे बताए उन परम सत्यका साक्षात्कार करना एवं कालके प्रति क्षणमें व ब्रह्माण्डके प्रति कणमें बसे आनन्दघन स्वरूपको आत्मसात् करना हमारा उद्देश्य हैं । सनातन वैदिक संस्कृति अतिप्राचीन व वैश्वक हैं । हमारे पूरे वैदिक वाङ्मयमें या पुराणोमें किसी एक प्रदेश-जातिकी ही नहीं किन्तु पूरे ब्रह्माण्डके जीवमात्रके अभ्युत्थानकी प्रार्थना लिखी हैं । भद्रं कर्णेभिः श्रृणुयाम देवा भद्रं पश्येम.. शतं जीवेम शरदः - कीट से ब्रह्मा पर्यन्त समद्र-पर्वतसे पूरे ब्रह्माण्ड पर्यन्त के सभी चराचर का कल्याण हो ऐसी प्रार्थना कईबार दोहराई गई हैं । यही हैं वैश्विक संस्कृति या सभ्यता क्योंकि ये ही जगाती है वसुधैव कुटुम्बकम् की सद्भावना ।